Thursday, March 17, 2022

कोविड १९ : सज़ा या अवसर, COVID - 19, CORONA EFFECTS

 कोविड १९ : सज़ा या अवसर 



कोरोना की महामारी को देखते हुए भारत में १७ मई तक लॉकडाउन था इस दौरान लोगों को हो रही दिक्कतों के लिए मा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने अपने 'मन की बात' में इसके लिए देशवासियों से माफी भी मांग ली है।इस कदम से सरकार के नीति निर्धारण में पारदर्शिता का पता चलता है, जिससे विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।लेकिन मेरा मानना है की, इस चुनौतीपूर्ण समय को भारत के लिए एक अवसर में बदला जा सकता है।भारत एक बहुत ही आकर्षक बाजार है और ये सही है कि हमारे सामने यह व्यवधान है, लेकिन यह पूरी दुनिया में है और भारत कोई अपवाद नहीं है। वास्तव में मुझे लगता है कि यह संकट भारत के लिए एक अवसर बनकर आया है।


लॉकडाउन में ठहर सी गई हर जिंदगी।

जी हाँ,ऐसा हो गया है कि लॉकडाउन जल्द खत्म होने का कोई चांस नहीं लग रहा हैं। शहरों से निकल कर कोरोना देश के गांवों और झुग्गी झोपडि़यों में फैलने लगा है। लॉकडाउन में हर किसी की जिंदगी थम गयी है क्योंकि नया कुछ भी नहीं हो रहा है। स्कूल-कॉलेज, उद्योग औऱ व्यापार पर गहरा असर पड़ा है। लेकिन मेरा मानना है की कोरोना नामक इस महामारी को हम सब सज़ा के तौर पर देखे या इसे आज अवसर की हिसाब से नापा जाए। कोविड १९ बीमारी तो लाया है लेकिन आज इस वायरस ने अपनेपन को ताक़त दी है। लेकिन क्या ये लाक्डाउन सचमुच आपका कोई नुक़सान कर रहा है? आज सोशल मीडिया पर लोग बिनजिझक अपने वक्तव्य डालते है। जिनमें कोई बुनियाद नहीं।मेरा ये भी कहना नहीं कि लाक्डाउन सब के लिए फ़ायदेमंद है लेकिन जो लोग आज घरोंमे आराम से बैठकर सोशल मीडिया पर ज्ञान देते फिरते है मुझे उन प्रवृतियों पर तरस आता है।

हम धोखे में थे…..

हम धोखे मे थे कि हम earth को बचा सकते है। हम pollution कम कर सकते है। लेकिन अब हमे पता चला कि अगर इन्सान अपनी टांग ना अडाए तो Earth खुदको बहुत तेजी से heal करती है। हम धोखेमे थे की हम जंक फुड के बिना survive नही कर सकते। सारे जंक फूड रेस्टॉरंट बंद थे और दुनिया अब भी चल रही है। हम धोखे मे थे की हम घर से काम नही कर सकते, हमारी मिडिया बहूत समझदार है। हम धोखे मे थे की हमारे क्रिकेट स्टार्स, हमारे फिल्म स्टार्स असली हिरो है। पता चला की ये तो बसा इंटर्टेनर्स है।हम धोखे मे थे की कोई ज्योतिषी, कोई पंडित, कोई मौलवी, कोई priest किसी बीमार इंसान की जान बचा सकता है। हम धोखे मे थे की तेल बहुत किमती चीज होती है। अब हमे पता चला की हमारे बिना तेल की कोई किंमत नही है। हम चिडियाघर के जानवर को देखकर खुश होते है, आज जब हम पिंजरे मे बंद हुए तब पता चला की उन जानवरो को कैसा लगता होगा। हम धोखे मे थे की शॉपिंग मॉल बंद हो जायेंगे तो दुनिया रुक जायेगी। शॉपिंग मॉलस तो बंद थे लेकिन दुनिया अब भी चल रही है।आज महंगे Brands नही है लेकिन दुनिया अब भी चल रही है। हम छुट्टीया मनाने बाहर नही जा रहे थे, हम देर रात तक चाय की हॉटेल्स पर बैठ कर टाईम waste नही कर रहे थे और दुनिया तब भी चल रही है। जो फरक पडा है वह दिखावे की  दुनियादारी  को पडा है, असली जिंदगी तो अब चमक उठीं है। फिजूल खर्चे बंद हो गए है और आप अपने परिवार के साथ टाईम बिता रहे हो। आंगण मे बच्चे खेल रहे है, फुल अब भी खिल रहे है, नदिया अब भी बह रही है, बल्की पहले से ज्यादा साफ होकर बह रही है। गाय अब भी दूध दे रही है, मुर्गीयाँ अब भी अंडे दे रही है। खेतों में सब्जीयाँ अब भी ऊग रही हैं और आप के घर तक यह सब चीजें पहुंच रही है। हमे पता चल गया की हम धोखे में थे।

कोविड १९ और लाक्डाउन आज कई ऐसी चीज़ें लेकर हमारे सामने आया है जिसे हम पिछले कुछ सालों में भूल से गए थे। ज़िंदगी का सही मक़सद हम भूल गए थे। लाक्डाउन की समस्या गम्भीर है, लेकिन लाक्डाउन हमारे लिए सज़ा कतई हो नही सकता।मैं कहती हूँ की ये लाक्डाउन हमारे लिए चुनौती बनकर हमारे सामने अवसर के दरवाज़े खोलकर लाया है।पारिवारिक एकता, अपनापन, परोपकार, बुज़ुर्गों की उलझन ऐसी कई चीज़ें जो हम भूल रहे थे, जिन्हें हम पीछे छोड़ रहे थे,आज लाक्डाउन ने हमें लौटायी है।मैं शुक्रगुज़ार हूँ इस लाक्डाउन की जिसने सही मायने में ज़िंदगी का ख़ज़ाना आज खोल दिया है।आइए हम जानते है कुछ ख़ास बातें जो इस लाक्डाउनमें सज़ा नही हमारी समृद्धि लेकर आयी है।


१) वक्त से पहले शुरू हो गई छुट्टियां :

ये छुट्टियां बच्चों के लिए गर्मियों के पहले शुरू हुए मॉनसून जैसी हैं। हालांकि, कुछ माँएं इन छुट्टियों से ज्यादा खुश नहीं हैं, जबकि कुछ वर्किंग महिलाएं इसे एक लंबे वीकेंड के तौर पर ले रही हैं। कई परिवार इस लॉकडाउन का इस्तेमाल परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने और आपसी रिश्ते मजबूत करने में कर रहे हैं।मेरी भी दो छोटी बेटियाँ है।मैं भी एक वर्किंग वुमन हूँ।लेकिन आज मेरी बेटियों का साथ मुझे स्वर्ग की अनुभूति करा रहा है।


२) हाइजीन और अनुशासन :

आज हम महिलाएं इस बात से खुश हैं कि हमारे बच्चे इस दौरान हाइजीन के बारे में जागरुक हो रहे हैं और ज्यादा अनुशासित बन रहे हैं। जिस बात के लिए माँ सालों से परेशान थी कोरोना आज उस उलझन को पल में सुलझा गया है।


३) ग्रैंडपेरेंट्स से बात कर रहे बच्चे :

आज हर घर खुश हैं कि उनके बच्चे अपने दादा-दादी और अन्य रिश्तेदारोंसे हर रोज बात कर पाते हैं। पर्याप्त वक्त के कारण आज हम अब वो सब कुछ कर रहे हैं जिसे हम इतने वक्तसे मिस कर रहे थे।आमतौर पर बड़े-बुजुर्ग अपने बच्चों या पोते-पोतियों से बात करने के लिए तरस जाते हैं।आज के दौर में कितने बच्चों के पास इतना टाइम है कि वे रोज़ अपने दादा-दादी या नाना-नानीसे बातें कर पाएं। आज लाक्डाउनसे ये सब सम्भव है।


४) घर के सात्विक खाने की अहमियत समझ रहे बच्चे :

आज सारे होटेल्स बंद है। सारे फ़ास्ट फ़ूड के ठेके खाली है। आज बच्चे समझ रहे है घर के खाने का स्वाद और अहमियत।आज कई माँयें ख़ुश है क्यूँकि उनके बच्चे अब पैसे की कीमत को समझ रहे हैं। मेड्स को छुट्टी दे दी गई है। आज हम घर पर खाना बनाते हैं और ख़ुश भी है।


५) क्रिएटिविटी को लगे पंख : 

आज बच्चों की क्रिएटिविटी को जैसे पंख लग गए हैं। आज हमारी बेटियाँ घर पर नए पकवान बनाना सिख रही है।छोटी-छोटी लड़कियाँ अपनी बार्बी डॉल्स के लिए खुद कपड़े सिलना सीख रही है। कई महिलायें किचन में प्रयोग कर रही है। बहोत से लोगों ने अपने शौक़ फिरसे ज़िंदा किए है।जितने बच्चों से हमने बात की उनमें से ज्यादातर को इस लॉकडाउन में रहने से कोई दिक्कत नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग ने असलियत में परिवारों को एकसाथ जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है।


६) रामायण और महाभारत की पहचान :

लाक्डाउन में शुरू हुए TV सीरीयल्स रामायण और महाभारत जैसे हमारे प्राचीन इतिहास से हम फ़ीर सें जुड़ गए है।आज हमारे बच्चे हमारी संस्कृति, हमारी परम्परा से रूबरू हो रहे है। रामसीता, लवकुश की कहानियाँ, धर्म और अधर्म के अंतर को परख रहे है।इन सीरीयल्सके प्रभाव से आज सभी फिरसे शुद्ध  हिंदी भाषा का प्रयोग भी कर रहे है।मनोरंजनके साथ ही हम बिना कुछ किए हमारे बच्चों को शिक्षा भी प्रदान कर रहे है।


७) IT कर्माचारियों  के लिए अवसर : 

आईटी विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउनने यह आईटी कंपनियों और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करने वाले पेशवरों के लिए बड़ा अवसर दिया है। बैंकिंग, शिक्षण, ई-कॉमर्स से लेकर तमाम तरह की सेवाएं देनी वाली कंपनियों को ऑनलाइन सर्विस का महत्व समझ में गया है। इसलिए कई कंपनियां जरूरत के अनुरूप इस क्षेत्र में अपने को विकसित कर रही हैं।

मैं भी एक कामकाजी महिला हूँ। मैं अपने बच्चों और अपने काम के शेड्यूल के बीच में बुरी तरह से उलझ गई हूँ और मुझे घर संभालने के लिए एक फुल-टाइम मेड को रखना पड़ता है। आज वर्क फ्रोम होम की वजह से मैं अपने काम और अपनी बेटीयाँ दोनो पर अपना मन केंद्रित कर सकती हूँ। बेटियाँ मेरे साथ है और आज इसी दौर मैं अपने काम पर ज़्यादा फ़ोकस कर पा रही हूँ और ज़्यादा क्रीएटिविटी भी ला सकती हूँ। क्यूँकि आज मेरी बेटियोंके परवरिश की मूलभूत परेशानी आज मेरे काम की आड़े नहि आती।



८) डिजिटल होने की सही राह पर :

आज हम देख रहे है की कालेजों ने छात्रों के लिए ऑनलाइन स्टडी क्लास शुरू कर दी है। शिक्षक अपने काम zoom जैसे app से ऑनलाइन कर रहे है। conference, meetings घर बैठे हो रही है। सोशल डिस्टन्सिंग हमें डिजिटल होने में कारागर साबित हो  रहा है।


९) ज़िंदगी की सही पहचान :

आज लग़बग़ डेढ़ महीना हो गया हम घर पर है। ना कोई पार्टी, ना कोई मूवी, ना कोई शॉपिंग, ना कोई लोंग ड्राइव।आज ये सब नहि है फिर भी हम ख़ुश है, संतुष्ट है। हमारे फ़िज़ूल ख़र्चों के आँकड़े आज हम ही देखकर चोंक रहे है। आज हम घरों में है तो पर्यावरण कितना साफ़सुथरा है, पशू, पक्षी, पेड़, नदियाँ मानो आज खुलकर साँस ले रहे है। आज हमारी मूर्खता पर हमें ही आश्चर्य हो रहा है।आज कोई दिखावा नहि लौकडोवन हमें ज़िंदगी की ज़रूरत बता रहा है। कोरोना हमें जीना सिखा रहा है।

जो सुबह बिना मुँह धोए चाय का फ़रमान रख दिया करते थे वो अब हर ३० मिनट बाद हाथ  धोते नज़र रहे है।हायजिन का ये आलम है देश में के sanitiser और handwash की लत लग चली है बात बात पर गुट्खा चबाने वालों की तलब निष्क्रिय हो चली है यहाँ वहाँ जहाँ कहाँ थूक देने वाले अब निगल निगल कर जी रहे है, कोरोना तूने सच में लोगों को जीना सिखा दिया है इस कोरोना नामक वायरस ने हमें असली औक़ात दिखा दी है।तूने बड़े बड़े लोगों को हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करना सिखा दिया है।इंसान को इंसानियत सिखा दी है जो flight पर flight लिया करते थे, जो ozone की चादर पर छेद किया करते थे वही लोग आज isolution ward की हवा खा रहे है। बाज़ार बंद होने पर आज आनाज का मोल बता दिया है, कोरोना तूने जीना सिखा दिया है।कोरोना तू निकल लेना किसी तरह, लेकिन अपना खौंफ ज़रूर छोड़ जाना क्यूँकि तूने इंसानियत फिरसे ज़िंदा करदीं है। कोरोना तूने सच में जीना सिखा दिया है।

दोस्तों बहूत कुछ है लिखने के लिए।….बस लाक्डाउन हमें जीना सिखा रहा है।इस लोकडोवन में सभी घर पर रहे,स्वस्थ रहे, और इस कोविड १९ की समस्या को जल्द से जल्द हम विदा दे सके यही प्रार्थना करती हूँ। 


🇮🇳फिर मुस्कुराएगा भारत….🇮🇳

🇮🇳फिर जीत जाएगा भारत….🇮🇳

🇮🇳जय हिंद।🇮🇳

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